3.खेल की प्रवृत्ति (चंचलता):


  1. यही वह समय है जब बच्चों में खेलकूद की प्रवृत्ति बढ़ती है। बच्चे दौड़ना, कूदना, खिलौने आदि जैसे खेल खेलना पसंद करते हैं। बच्चे अपना अधिकांश समय खेलने में व्यतीत करते हैं। खेल शारीरिक और मानसिक रूप से बहिष्कृत है। खेलकूद अन्य बच्चों के साथ दोस्ती बनाने के साथ-साथ समाजीकरण में भी मदद करता है।