मलेरिया बुखार (Malarial Fever)

मलेरिया बुखार के लक्षण:

कांपता बुखार। बुखार 104 ° से 107 ° तक हो सकता है। फिर अचानक बुखार कम हो जाता है। पसीना निकल जाता है। फिर से बुखार है। तेज सिरदर्द, आंखों का लाल होना, ज्यादा प्यास लगना, खांसी, छींकआना आदि लक्षण भी होते हैं। कई बार रोगी बेचैन हो जाता है।

मलेरिया बुखार के कारण:

यह बीमारी एनोफिलीज नाम के मिकी मच्छर के काटने से होती है। हालांकि इन मच्छरों को प्लास्मोडियम रोगज़नक़ से संक्रमित होना चाहिए।

पथ्य-अकथनीय आदि:

इस बुखार में करेला और पानी से भरे रसदार खाद्य पदार्थ या अनुपान विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं। विशेष रूप से चीता के पत्तों का रस, कलमेघर की जड़ों का रस, तुलसी का रस, काली मिर्च पाउडर आदि विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं। महानीम के पत्ते विशेष रूप से लाभकारी होते हैं।

घरेलू देखभाल:

अनन्त जड़ के जड़ चूर्ण का आधा चम्मच एक बर्तन में लेकर उसमें थोड़ा सा चूना और खीर डालकर पान की तरह चबाना चाहिए। ऐसे में इसे दिन में 2-3 बार खाना चाहिए।

तीन चम्मच तुलसी के पत्ते का रस, तीन चम्मच बेल के पत्ते और एक चम्मच शहद

इसे एक बार में मिलाकर खाना चाहिए। इस तरह इसे दिन में तीन बार खाना चाहिए। 10 मिर्च के साथ एक छोटा लाल प्याज खाने से मलेरिया बुखार कम हो जाता है। खीरे की पत्तियों को सुखाकर एक छोटा कटोरा बना लें। मलेरिया बुखार का सेवन हमेशा 8 दिनों तक लगातार तीन बार इस बाड़ी करों के पत्तों के रस के साथ किया जाता है। यह अच्छा है।

एक महीने तक सुबह खाली पेट सिर्ता का जूस पीने से मलेरिया ठीक हो जाता है।