Chapter 4
गाँधारी का अभिशाप
- गाँधारी कौन थी?
उत्तर: महाभारत की प्रमुख पात्र गाँधारी कौरवों की माता थी।
- भीम ने कौन – सा अधर्म किया था?
उत्तर: भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध महाभारत में वर्णित है। कमर के नीचे प्रहार करना गदा युद्ध के विरुद्ध है। जब भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध चल रहा था, तब कृष्ण के इशारे से भीम ने दुर्योधन के जंघा पर प्रहार करने के लिए कहा। तब भीम ने कृष्ण की बात मानकर दुर्योधन की जंघाओं पर गदा से प्रहार किया और इस प्रकार दुर्योधन की जंघा टूट गयी। इसी से दुर्योधन की मृत्यु हो गई। गंधारी के अनुसार कृष्ण के कहने पर भीम ने यही अधर्म क्या था।
- अश्वत्थामा के पिता का नाम क्या था?
उत्तर: अश्वत्थामा के पिता का नाम द्रौणाचार्य था, जो कौरव पांडवों के गुरु थे।
- अश्वत्थामा को अभिशाप किसने दिया था?
उत्तर: अश्वत्थामा को अभिशाप कृष्ण ने दिया था। जब अश्वत्थामा ने सोते हुए पांडव पुत्रों को पांडव समझकर मार डाला तब अर्जुन ने उसे पकड़ लिया। भीम ने अश्वत्थामा के सिर पर गदा से प्रहार किया जिससे उसके सिर में स्थित मणि भीतर धँस गया और एक स्थायी घाव उसके सिर में बन गया। श्री कृष्ण ने उसे यह अभिशाप दिया कि तेरा यह घाव कभी ठीक नहीं होगा।
- गाँधारी के अभिशाप के पीछे कौन सा कारक तत्व काम कर रहा था?
उत्तर: गाँधारी ने कृष्ण को इसलिए अभिशाप दिया था, क्योंकि गाँधारी को पता था कि कृष्ण के कहने पर ही भीम ने गदा युद्ध के नियमों के बाहर जाकर दुर्योधन का जंघा तोड़ दिया था। गाँधारी ने अपने तपोबल से कृष्ण को या अभिशाप दिया कि जिस तरह कौरव नष्ट हुए हैं, ठीक उसी प्रकार तुम्हारा वंश भी आपस में लड़ते झगड़ते नष्ट हो जाएंगे। चाहे तुम प्रभु ही क्यों न हो लेकिन मारे जाओगे पशुओं की तरह व्याध के वाण से।
- यह कविता भारतीजी के किस ग्रंथ से ली गयी है?
उत्तर: यह कविता भारतीजी की सफल नाट्य् काव्य कृति ‘अंधा युद्ध’ से ली गयी है।
- प्रस्तुत कविता के आधार पर गाँधारी की चारित्रिक विशेषता पर प्रकाश डालिए?
उत्तर: गाँधारी महाभारत की एक प्रमुख नारी पात्र है। गाँधार देश की राजकन्या थी, जिसका विवाह भीष्म पितामह ने अपने जन्मांध भतीजे धृतराष्ट्र से कर दिया था। शकुनि गाँधारी का भाई था। शकुनि भीष्म से द्वेष ममता था। इसी कारण शकुनि दुर्योधन को पाण्डवों के खिलाफ भड़काता था। गाँधारी कौरवों की माता थी। वह जानती है कि यदि कृष्ण चाहते तो महाभारत नहीं होता, किंतु कृष्ण ने इस युद्ध में समस्त कौरवों का संहार करवा दिया। लेकिन गांधारी को इस बात की ज्यादा दुख था कि युद्ध में उसके सौ पुत्र मारे गए। दुर्योधन के कंकाल को देखकर वह कृष्ण के प्रति क्रोधित होते हैं और कृष्ण को अभिशाप देते हैं कि जिस प्रकार कौरवों का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार तुम्हारा वंश भी नष्ट हो जाएगा। चाहे तुम प्रभु ही क्यों न हो लेकिन मारे जाओगे पशु की तरह।
इस कविता में गाँधारी का ममत्व भाव अत्यंत प्रबल है। ममता से अंधी होकर वह भूल गयी कि दुर्योधन अधर्मी एवं अन्यायी है। लेकिन जब दुर्योधन के कंकाल को देखा तो अंधी ममता में वशीभूत होकर अपनी तप शक्ति से कृष्ण को शाप देती है। गाँधारी का चरित्र पाठकों को प्रभावित करता है।
- व्याख्या कीजिए……….
‘मैंने प्रसव नहीं किया था कंकाल
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जो तुमने दिया निरपराध अश्वत्थामा को।’
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत काव्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक ‘हिंदी साहित्य संकलन’ के अंतर्गत ‘धर्मवीर भारती’ जी के द्वारा रचित ‘गाँधारी का अभिशाप’ शीर्षक कविता से लिया गया है।
प्रसंग: गाँधारी दुर्योधन के कंकाल को देखकर विचलित हो जाती हैं। वह इसका कारण कृष्ण को मानकर उससे यह प्रश्न करती है कि निरपराध अश्वत्थामा को जो शाप दिया था , वही शाप भीम को क्यों नहीं दिया, जिसने अधर्म से दुर्योधन को मारा।
व्याख्या: महाभारत के युद्ध में गाँधारी के सौ पुत्र मारे गए। गाँधारी युद्ध भूमि में पड़े हुए अपने पुत्र दुर्योधन के कंकाल को देखकर अत्यंत विचलित हो जाती है और इसका कारण कृष्ण को मानती है। गांधारी कहती है कि मैंने इस कंकाल को जन्म नहीं दिया था। मैं जानती हूं कि तुम्हारे ही संकेत पर भीम ने दुर्योधन की जंघाओं पर गदा से प्रहार किया, जबकि गदा युद्ध में कमर के नीचे प्रहार करना वर्जित है। गाँधारी कृष्ण से प्रश्न करती है कि तुम तो धर्म के प्रतिमूर्ति कहे जाते हो, फिर तुम्हारे सामने यह अधर्म कैसे हुआ? यदि तुम भीम के कार्यों को अधर्म मानते तो तुम्हें भीम को शाप देना चाहिए था, लेकिन तुमने भीम को शाप नहीं दिया जैसे अश्वत्थामा को दिया था।