महापुरुष
Lesson-12
- संक्षेप में उत्तर दो:
(क) असम के ज्योतिपुंज से मतलब क्या है?
उत्तर: असम के ज्योतिपुंज से मतलब उन प्रकाश के समूह से है जो रात के समय असम के घर-घर में जलाए गए दीये से निकले थे।
(ख) शंकरदेव का जन्म कब और कहांँ हुआ था?
उत्तर: शंकरदेव का जन्म सन 1449 ई. में नगांँव जिले के अलिपुखुरी नामक स्थान में हुआ था।
(ग) शंकरदेव के माता-पिता कौन थे?
उत्तर: शंकरदेव के माता का नाम सत्यसन्धा और पिताजी का नाम शिरोमणि कुसुम्बर भूञा था।
(घ) खेरसूती कौन थी?
उत्तर: खेरसूती शंकरदेव की दादी माँ थी।
(ङ) महेंद्र कन्दली कौन थे?
उत्तर: महेंद्र कन्दली शंकरदेव के गुरु थे।
(च) शंकरदेव ने किस धर्म का प्रचार किया था?
उत्तर: शंकरदेव वैष्णव धर्म का प्रचार किया था।
- प्रस्तुत कविता को गद्यभाषा में लिखो।
उत्तर: जब शंकरदेव का जन्म हुआ, तब आसमान अंधकार से घिरा था। उनके जन्म लेते ही मानो असम के प्रत्येक घरों में जलते हुए दीये एक साथ जगमगा उठे। क्योंकि उस समय समाज को एक ऐसा व्यक्ति चाहिए था जो समाज में हो रहे अंधविश्वास, कुरीतियांँ, जात-पात आदि से सभी को मुक्त करा सके। और वह व्यक्ति शंकरदेव के रूप में पैदा हुआ।
शंकरदेव का जन्म सन 1449 ई. में नगांँव जिले के अलिपुखुरी ग्राम में हुआ था। माता थी सत्यसन्धा और पिता थे कुसुम्बर भूञा। बचपन में उनका नाम रखा गया शंकर। बचपन में उनका लालन पोषण उनकी दादी मांँ खेलखूती ने किया था। वे बचपन में बहुत शरारती एवं नटखट थे और शारीरिक रूप से बड़े बलवान। शंकर को अपनी दादी मांँ से काफी गाली खानी पड़ती थी। ज्ञान प्राप्ति हेतु बारह साल की उम्र में खेरखुती ने शंकर को एक गुरु के यहांँ छोड़ आयी। जिनका नाम था महेंद्र कुन्दली। अपने गुरु से शिक्षा पाकर शंकरदेव ने ज्ञान हासिल किया। महेंद्र कन्दली भी शंकर के प्रतिभा से प्रभावित हो गए जब शंकर ने अपनी प्रतिभा का निदर्शन दिखाते हुए चौदह शास्त्र, अठारह पुराण को कंठस्थ कर लिया था। जिसे देख सारा संसार हिल गया। आगे चलकर संकरदेव ने वैष्णव धर्म का प्रचार किया और जात-पात, ऊंँच-नीच आदि भावनाओं को छोड़ सभी लोगों को एकता का पाठ सिखाया।
- “असम का ज्योतिपूंज
जगमगा उठा,
असम का गगन जब तिमिरों से घिरा।।” से कवि का आशय स्पष्ट करो।
उत्तर: यहांँ कवि का आशय शंकरदेव के जन्म से है। जब शंकरदेव ने सत्यसन्धा के यहांँ जन्म लिया, तब आसमान अंधकार से घिरा हुआ था और शंकरदेव के जन्म लेते ही असम के घर-घर में जलते हुए दीये एक साथ जगमगा उठे। मानो अंधकारमय आकाश में से देखने पर ऐसा प्रतीत होता था कि केबल असम का ज्योतिपूंज ही जगमगा रहा है। अर्थात उस समय असम राज्य की दूर से प्रकाशित हो रहा था।
- “चौदह शास्त्र, अठारह पुराण कंठस्थ कर लिया प्रतिभा से महात्मा का सारा संसार हिला” – यहांँ संसार हिलने से तात्पर्य क्या है?
उत्तर: यहांँ संसार हिलने से तात्पर्य संसार के लोगों से है, जो शंकर जी की प्रतिभा को देख दंग रह गए थे। क्योंकि उन्होंने चौदह शास्त्र, अठारह पुराण आसानी से कंठस्थ कर लिया था। जो कि और किसी ने भी यह कार्य नहीं किया था।
5.वाक्य बनाओ:
(i) महात्मा: महात्मा लोग हमेशा दूसरों की सोचते हैं।
(ii) बलशाली: रमेश कक्षा में सबसे बलशाली था।
(iii) नटखट: कृष्ण बड़े नटखट थे।
(iv) शास्त्र: ऋषि-मुनियों के पास शास्त्र का ज्ञान होता है।
(v) जगमगा: मंदिर के दीये जलने से दूर से मंदिर जगमगा रहा था।
6.’क’ अंश के साथ ‘ख’ अंश को मिलाओ:
उत्तर:
(क) (ख)
नामधर्म – कीर्तन घोषा
जैन धर्म – अंग
इस्लाम धर्म – कुरान शरीफ
ईसाई धर्म – बाइबेल
बौद्ध धर्म – त्रिपिटक
Reetesh Das
M.A In Hindi