दानवीर शिवि
Chapter 2
- संपूर्ण वाक्य में उत्तर लिखो:
(क) शिवि कैसे राजा थे?
उत्तर: शिवि एक धार्मिक एवं दानी राजा थे।
(ख) स्वर्ग के कौन-कौन देवता शिवि की परीक्षा लेने आए थे?
उत्तर: स्वर्ग के देवता इंद्र और अग्निदेव शिवि की परीक्षा लेने आए थे।
(ग) बाज और कबूतर असल में कौन थे?
उत्तर: बाज और कबूतर असल में स्वर्ग के देवता इंद्र और अग्निदेव थे।
(घ) बाज ने महाराज से क्या शिकायत की थी?
उत्तर: बाज नहीं महाराज से शिकायत की थी कि राजा उसका मुंँह का खाद्य छीन रहा है। यदि वे उसका खाद्य वापस नहीं करेंगे तो वह खाए बिना मर जाएगा।
(ङ) राजा शिवि ने कौन सा निर्णय लिया?
उत्तर: राजा शिवि ने अंत में अपने शरीर का मांस देने का निर्णय लिया।
- खाली जगहों की पूर्ति करो:
(i) शरणागत की रक्षा करना ही…….. होता है।
उत्तर: राजधर्म।
(ii) राजा……. में पड़ गये।
उत्तर: असमंजस।
(iii) राजा शिवि की……. से…….. और…….. बहुत प्रसन्न हो गए।
उत्तर: दानशीलता/इंद्र/अग्निदेव
- वाक्य बनाओ:
(i) दानशीलता:- स्वामी विवेकानंद अपनी दानशीलता के लिए जाने जाते थे।
(ii) वरदान:- भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने भक्तों को वरदान दिया।
(iii) प्रसन्न:- आज शीला बहुत प्रसन्न दिखाई दे रही है।
(iv) संकोच:- उसके मन में संकोच है।
(v) राजधर्म:- प्रजा की रक्षा करना हर राजा का राजधर्म होता है।
(vi) असमंजस:- राजू असमंजस में पड़ गया कि वह घर जाए या फिर बाजार।
(vii) शरणागत:- हर व्यक्ति को शरणागत की सहायता करनी चाहिए। - विपरीत शब्द लिखो:
उत्तर: दानी – कंजूस स्वर्ग – नर्क प्रसन्न – दुखी चढ़ाना – उतारना धर्म – अधर्म पाप – पुण्य पुराना – नया देवता – असुर डर – साहस पार्थना – अभिशाप - ‘क्या शरणागत की रक्षा करना राजधर्म है’ में किस धर्म के बारे में बताया गया है? शरणागत से क्या समझते हो?
उत्तर: यहांँ उस राजधर्म के बारे में बताया गया है जहांँ हर शरणागत की रक्षा करना राजा का कर्तव्य एवं दायित्व होता है। किसी के भय से किसी विशेष व्यक्ति के पास अपनी रक्षा हेतु आया हुआ व्यक्ति ही शरणागत कहलाता है।
- राजा शिवि क्यों असमंजस में पड़ गए थे? आखिर में उन्होंने क्या निश्चय किया?
उत्तर: राजा शिवि इसलिए असमंजस में पड़ गए थे क्योंकि उन्हें कबूतर को भी बचाना था और बाज को भी उसका खाद्य देना था। आखिर में उन्होंने आवाज को अपने शरीर का मांस देने का निश्चय कर लिया।
- इंद्र और अग्निदेव ने राजा शिवि से कौन सी परीक्षा ली थी? क्या राजा इस परीक्षा में खरा उतरा। विस्तार से लिखो।
उत्तर: इंद्र और अग्निदेव ने राजा शिवि की दानशीलता की परीक्षा लेने के लिए कबूतर और बाज का रूप धारण किया। अग्निदेव ने कबूतर का रूप धारण कर बाज से बचने का नाटक किया और इंद्र ने बाज का रूप धारण कर कबूतर के पीछे पीछे भागने लगा। कबूतर जाकर राजा शिवि के चरणों में जा गिरा और अपनी प्राणों की रक्षा हेतु भीख मांगी। राजा ने अपना राजधर्म निभाते हुए कहा कि वह अपनी प्राण देकर भी उसे बचाएगा। लेकिन बाज आकर राजा से शिकायत करता है कि वह उनके मुंँह का खाद्य छीन रहे हैं। अगर वे ऐसा करेंगे तो वह भूखा मर जाएगा। बाज की इस बात से राजा दुविधा में पड़ गए। वह न तो कबूतर को दे सकते थे और न ही बाज को भूखा रख सकते थे। तो उन्होंने बाज को कहांँ की कबूतर को छोड़कर वह जो खाना चाहता है, वे देने को तैयार है। तो बाज ने कबूतर के वजन के बराबर मनुष्य का मांस मांग लिया। यह सुनते ही राजा असमंजस में पड़ गए। फिर उन्होंने अपने ही शरीर का मांस काटकर बाज को देना चाहा। लेकिन वे तराजू में जितना भी मांस काटकर चढ़ाते जाते, फिर भी कबूतर के बराबर का मांस नहीं होता। अंत में राजा शिवि अपने प्राणों की चिंता न करते हुए स्वयं ही तराजू के एक ओर बैठ जाते हैं। तथा राजा की इस दानशीलता को देखकर इंद्र और अग्निदेव बहुत प्रसन्न जाते हैं और अपना रूप प्रकट करके उसे वरदान देकर स्वर्ग चले जाते हैं।
Reetesh Das
M.A in Hindi