साबरमती के संत । पाठ 14 । Chapter 14 | Class 9 Elective Subject Hindi Lesson 14 Question and Answer Assam | SEBA Class 9 El. Hindi Lesson 14 Solution |

साबरमती के संत

(अ) सही विकल्प का चयन करो:

1. ‘गांधी तेरी मशाल’ का किस अर्थ में प्रयोग हुआ है?

उत्तर: गांधीजी का आदर्श।

2. स्वाधीनता से पहले भारत पर किसका शासन था?

उत्तर: अंग्रेजों का।

3. गांधी जी को प्यार से लोग क्या कहकर पुकारते थे?

उत्तर: बापू।

4. गांधी जी के ऊंँचा मस्तक के सामने किसकी चोटी भी झुकती थी?

उत्तर: हिमालय की।

(आ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

1. ‘साबरमती के संत’ किसे कहा गया है?

उत्तर: साबरमती के संत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कहा गया है।

2. गांधी जी ने क्या कमाल कर दिखाया?

उत्तर:  गांधी जी ने देश को अंग्रेजों से आजाद कर दिखाया।

3. महात्मा गांधी का वास्तविक हथियार क्या था?

उत्तर:  महात्मा गांधी का वास्तविक हथियार सत्य और अहिंसा था।

4. गांधी जी ने लोगों को किस मार्ग पर चलना सिखाया?

उत्तर: गांधी जी ने लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया।

(इ) संक्षिप्त उत्तर लिखो:

1. गांधीजी की संगठन शक्ति के बारे में तुम क्या जानते हो?

उत्तर: गांधीजी ने भारत को आजादी दिलाई थी। गांधीजी समस्त भारतवर्ष में इतने प्रसिद्ध थे कि जहांँ-जहांँ वे चल पड़ते उसके पीछे-पीछे सैकड़ों लोगों का संगठन उमर जाता। तथा उनमें गजब की संगठन सकती थी। वे जिधर से गुजरते लाखों मजदूर किसान, हिंदू, मुस्लिम, सिख, पठान सभी उनके पीछे चल पड़ते थे। संगठन की खास विशेषता यह थी कि उन्होंने अहिंसा को अपना हथियार बनाया और सत्य का मार्ग अपनाया। जिसके चलते गांधीजी के नेतृत्व में बिना गोला-बारूद का प्रयोग कर अंग्रेजों से देश को आजादी दिलाई।

2. गांधीजी ने किस प्रकार अंग्रेजों से टक्कर लिया था?

उत्तर:  गांधीजी ने अंग्रेजो पर न तो हथियार और गोला-बारूद चलाया और न ही राजाओं की तरह दुश्मनों के किलो पर चढ़ाई कर विजय पताका लहराया। उन्होंने सिर्फ शरीर में मात्र धोती लपेट हाथ में लाठी लिए सत्य और अहिंसा को अपना एकमात्र अस्त बनाकर हिंदू, मुस्लिम, सिख, पठान आदि सभी को एकजुट कर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन किया। जिसके चलते देश आजाद हुआ। इस प्रकार गांधीजी ने अंग्रेजो से टक्कर लिया था।

3. प्रस्तुत गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखो।

उत्तर: ‘साबरमती के संत’ कवि एवं गीतकार प्रदीप का बहुचर्चित गीत है। इस गीत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवनदर्शों पर प्रकाश डाला गया है।

         गांधीजी ने अंग्रेजो के खिलाफ बिना हथियार बिना ढाल का प्रयोग कर लड़ाई की थी। यह संग्राम साबरमती के संत का चमत्कार था। गीतिका यहांँ कह रहे हैं कि जिस प्रकार संकट के समय में गांधी जी ने अपना आदर्श कायम किया था उनके वे आदर्श हमेशा कायम रहे।उन्होंने दुश्मनों पर कभी गोला-बारूद से संग्राम नहीं किया। उन्होंने अहिंसा को अपना हथियार बनाया। दुश्मन भी उनकी शक्ति से परिचित थे। दुश्मनों ने भी हौसला तोड़ने की कोशिश की पर बापू के हौसले को वे तोड़ न सके। उनमें गजब की संगठन सकती थी।जब जब उन्होंने बिगुल बजाया सैकड़ों हिंदू मुस्लिम सिख पठान दौड़े चले आए यहां तक कि जवाहरलाल भी उनके कदम से कदम मिलाकर चलते।मन में अहिंसा, हाथ में लाठी लिए इस प्रकार चलते मानो हाथी की चाल चल रहे हो। उसे देख मानो हिमालय भी अपना सर झुका देती है।

             अंत में गीतकार कहते हैं कि देश को आजादी दिलाकर उन्होंने खुद कोई पद या तख्त का ताज नहीं पहना। उन्होंने दूसरों को अमृत पिलाकर खुद जहर पिया। तथा जिस दिन उनकी चिता जली उस दिन समस्त जग रोया था।

4. ‘साबरमती के संत’ गीत के आधार पर गांधीजी के व्यक्तित्व पर एक संक्षिप्त लेख लिखो।

उत्तर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के वे अमर महात्मा थे जिन्होंने अपने आदर्श और सत्य एवं अहिंसा से देश को आजादी दिलाई। उनका जीवन बिल्कुल साधारण फकीर की तरह था। साधारण सी धोती और हाथ में लाठी लिए अपने आदर्शों के बल पर देश को आजादी दिलाना कोई साधारण व्यक्ति का काम नहीं था। इसलिए उन्हें महात्मा कहा जाता है।वे हिंसा के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने बिना हथियार और बिना गोला-बारूद का प्रयोग कर दुश्मनों का सामना किया था। सदा सत्य और अहिंसा के मार्ग में ही चलते थे।

(ई) भावार्थ लिखो:

(क) मन थी अहिंसा की बदन पे थी लंगोटी लाखों में लिए घूमता था सत्य की चोटी।

उत्तर: इस पंक्तियों का अर्थ यह है कि गांधीजी का व्यक्तित्व इतना साधारण था कि वे अपने मन में अहिंसा का भाव लिए, शरीर में मात्र धोती लपेटकर और हाथ में लाठी लेकर जिधर से गुजरते लाखों मजदूर, किसान, हिंदू, मुस्लिम, सिख, पठान सभी उनके पीछे पीछे चलने लगते थे। गांधीजी हमेशा सत्य के मार्ग पर चले और दूसरों को भी सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया।

(ख) मांँगा न तूने कोई तख्त बेताज ही रहा अमृत दिया सभी को खुद जहर पिया।

उत्तर:  इस पंक्ति का भावार्थ यह है कि गांधीजी ने देश को अंग्रेजों से मुक्त कर देश को आजादी दिलाई। इस हिसाब से वह चाहते तो आजादी के बाद उच्च पद या देश के नेता बन सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं मांँगा। उन्होंने हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचा। उन्होंने खुद कष्ट उठाकर दूसरों का उपकार किया। तथा इसलिए कहा गया है कि उन्होंने दूसरों को अमृत दिया और खुद जहर पिया है।

Type – Boby Bora